हम तो हमसे ही लुटे, बाकी में कहा दम था, और मेरा दम भी वही टूटा, जहा से हाथ अपयश ही था, हम तो लढे बहुत देर तक, फिर भी नही जीत पाए, और भी जाना था आगे, फिर भी नही जा पाए, औरो ने बहुत दिया सहारा, पर फिर भी हम जीत नही सके, आज के लिए हर ही सही, कल फिर से शुरुवात करनी है, आज के लिए ही तो हारे है, उसका गम थोड़ी रोज करे, रखे काल का गम आज के लिए, तो आज कैसे जिओगे, और आज नही जियेंगे, तो कल कैसे भागेंगे। #कविता #संघर्ष #आत्मविश्वास