देखो न वो पूछ रही थी नग्मों को युहीं गुन गुना रही थी अजीब थी वो हस्ती कभी ख़ुशी तो कभी गमो की मस्ती निहारना मद मस्तियों को परवाने हद हस्तियों को आँचल से सिमटा हुवा हूँ मोतियों की तरह बिखरा पड़ा हूँ पता नही हूँ मैं अजीब पर जुबान पे रहती है हर पल तहजीब #NojotoQuote #sapno ka sansar