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रण केवल इसलिये कि सत्ता बढ़े पत्ता न डोले, भूपों

रण केवल इसलिये कि सत्ता बढ़े पत्ता न डोले, 
भूपों के विपरीत न कोई कही कभी कुछ भी बोले।  
ज्यों-ज्यों मिलती विजय, अहं नरपति का बढ़ता जाता है, 
और जोर से वह समाज के सिर  पर चढ़ता जाता है। #रश्मिरथी
रण केवल इसलिये कि सत्ता बढ़े पत्ता न डोले, 
भूपों के विपरीत न कोई कही कभी कुछ भी बोले।  
ज्यों-ज्यों मिलती विजय, अहं नरपति का बढ़ता जाता है, 
और जोर से वह समाज के सिर  पर चढ़ता जाता है। #रश्मिरथी