नूतन नववर्ष की हर्षित वेला खुशियाँ लाए रहे न कोई झमेला। आनंदित मन मग्न रहे सदा सुख का तांता न टूटे कभी समृद्धियों का लगा रहे मेला। नूतन नववर्ष की हर्षित वेला समझते हैं हम वर्ष बीस की टीस बहुत कुछ खोया हमने बहुत कुछ है झूला। वृक्ष कब विलाप करते हैं फूलों के झड़ जाने से वो निरंतर लगे रहते हैं नव सुमन खिलौने में। वृक्ष सा ही हमको बनना है अलबेला। नूतन नववर्ष की हर्षित वेला खुशियाँ लाए रहे न कोई झमेला बी डी शर्मा चण्डीगढ़ नूतन नववर्ष की हर्षित वेला