छोड़ दिया हमने हर चीज़ दोबरा फिर से.. हर भावना हर जज़्बात हर शिकायतें... तुम्हारी 'न' को फिर से खुद को अलंकृत किया तुम परेशान हो..खुद से हैरान हो.. उलझन-सुलझन के बीच न जाने क्यों परेशान हो.. खुद तुम्हे नही मालूम कि तुम क्या हो.. तुम्हारी हार मेरी हार है और तुम्हारी जीत मेरी... #last letter