मेरी रंगीन सपनो की दुनिया, बचपन मे जब पछियों को उडते देखते थे, तो लगता था की काश , मेरे भी पखँ होते, तो मे भी इन के संग सैर कर आती , जब रंग बिरंगा इन्दृधनुष , आसमाँ मे दिखता तो रंगों के संग अठखेली कर आते, आज सब उलझे है अपनी दुनियां में, चलो फिर से आज कुछ लम्हे ,बचपन के रंगीन कर, कुछ यादें ताजा कर , फिर बचपन जी आते है।। khushi bachpan.. mere sapny poetry. ehssas a shabd