जाने क्यों तू मुझे वफा के बदले बेवफाई दे गया, जान थी मैं तुम्हारी फिर क्यों मुझे रुसवाई दे गया। वो तुझसे जुदाई के लम्हे हमें आज भी डराते हैं, डरे हुए से वो लम्हें हमें जिंदगी में बेहिसाब दे गया। जाने क्यों मोहब्बत की तू इतनी बड़ी सजा दे गया, महफिलें सजाने का वादा करके हमें तन्हाई दे गया। तेरी चाहत पर यकीन किया था मैंने खुद से भी ज्यादा, दिल को जख्मी करके तू मोहब्बत को नासूर बना गया। तेरे बाद"एक सोच"किसी से मोहब्बत ना कर पाएगी, मुस्कुराना सीख लिया हमने पर दिल गमों से भर गया। ♥️ Challenge-735 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।