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खज़ाने की चाभी भरोसे में देकर लुटाये हो जी भर तो क

खज़ाने की चाभी भरोसे में देकर
लुटाये हो जी भर तो क्यों रो रहे हो
पर्दे में रखना था जिसको छुपाकर
दिखाये हो जी भर तो क्यों रो रहे हो
सुनहरे पलों को भी करके तिरस्कृत
गवाये हो जी भर तो क्यों रो रहे हो 
बार बार मौका ये कहां देता जीवन
मुस्काये हो जी भर तो क्यों रो रहे हो
माना किसी की नहीं सीख तुमने
सुनाये हो जी भर तो क्यों रो रहे हो 
जीवन को अपने खिलौना समझे "सूर्य"
कमाये हो जी भर तो क्यों रो रहे हो

©R K Mishra " सूर्य "
  #जीवन_का_सत्य  Sethi Ji भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Kanchan Pathak Ashutosh Mishra Aditya kumar prasad