दोस्तों यह मेरी निजी राय है आपका विचार अलग हो सकता है और मेरा किसी समाज का विरोध नहीं किसी मंदिर मस्जिद का विरोध नहीं पर जो सच्चाई है वह सच्चाई बताने की कोशिश किया हूं अब तो यह इसीलिए बता रहा हूं क्योंकि जब लॉकडाउन लगे थे तब मेरे नंदुरबार के जिला के अधिकारी और जनप्रतिनिधि हमारे पास पैसे नहीं है करके भूखे प्यासे मजदूरों को वहां से नलाने का का ढोंग कर रहे थे!!
आज भी इस लोकसभा विधानसभा क्षेत्र से इतनी गरीबी है ना तो उन्हें स्थानिक लोगों को रोजगार मिलता है न दो वक्त की रोटी , हर साल पेट भरने के लिए अपना छोटा सा मिट्टी का बना हुआ घर छोड़कर गुजरात या अन्य राज्यों में पलायन करते हैं मजदूरी के लिए, सिर्फ पलायन नहीं वहां पर तरह तरह के अत्याचार होते हैं लेकिन यहां के जनप्रतिनिधि कभी बिचारी नहीं किए कि लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल जाए अगर स्थानिक स्तर पर रोजगार मिल जाए तो उन गरीबों का भला नहीं हो सकता??
लाखों रुपए तुम मंदिर मस्जिद चर्च के लिए फूंक देते हो लेकिन जब इसी भूखे की पेट भरने की बात आती है तो सिर्फ सरकार से फैसला नहीं आया सरकार से पैसा नहीं पास हुआ बोल कर अपना हाथ ऊपर उठा लेते हो यह बहुत नासमझ बात है!!
टिप: में किसी भी धर्म समुदाय के विरोध में नहीं लिखीं है पोस्ट कोई भी इसे धर्म समुदाय से ना जोड़ें!!
#AajkaBharat