मुझे पता है मैं मरूंगा एक दिन किंतु कभी न मारेगा मेरा विचार जब तक सांस हमारी चल रही मेरे तब तक हैं सब रिश्तेदार।। जो कुछ भी यहां पर मैं सीखा हू वही औरों को सिखाना चाहता हूं सब जन जन तक मेरी बातें पहुंचे इसीलिए मैं बात बताता रहता हूं।। कौन कब किस मोड़ पर मिला हमें यह बात याद नहीं रहती है इसीलिए हम लिख लिख रखते कभी जो नहीं भुलाई जा सकती है।। माता पिता पत्नी पुत्र पुत्री मेरे आंखों की रोशनी जैसे होते हैं जब यह सब हंसते मिल जाते तब हम कविता अच्छी लिखते हैं।। ©कवि होरी लाल "विनीता" एक दिन मैं मारूंगा