कभी-कभी जिंदगी कहीं और लिखी होती है, यूँ हर बार जल्दबाजी में ट्रेन नहीं छूटती... अक्सर कई मालाऐं तोड़ दी जाती हैं, हर बार ये अपने आप नहीं टूटती... जो चेहरा पहले मुस्कुराहटों से मैला हो गया था, अब उसी को आँसूओं से धो रहा हूँ पागल... सुना है तेरी आंख नहीं लगती, मैं भी कहां सो रहा हूं पागल... तूं आँसू पोंछ कर देख, मैं भी तो रो रहा हूं पागल... ©chandra_the_unique मैं भी तो रो रहा हूँ पागल...