ही मगर हम आवाज दे सकते है विशुद्ध संवेदित स्वर जिसमे भाईचारा हो जो संगठन के बिना सामूहिक हो जो भले ही महामहिमों के द्वारा हो मगर एक साथ अब कश्मीर का नारा हो। बैठे-बैठे कितनी बातें हो जाती हैं कितने काम हो जाते हैं.. बैठे-बैठे जहानों की सैर हो जाती है बैठे-बैठे Collab करें YQ Didi के साथ।