देख के तेरी मोहिनी सूरत कान्हा मैं तुझमें खो जाती हूँ समय की नहीं रहती सुध-बुध नज़रें तुझसे ना हटा पाती हूँ तू क्या जाने तुझ बिन कैसे मैंने दिल को है सम्भाला क्यूँ बैठा है अब भी तू आँखे मूँदे खोलो आँखें, भोर भायी नन्दलाल #सुप्रभात कलम के कलाकार #kkkcollab1.230 #collabwithme #YourQuoteAndMine Collaborating with कलम के कलाकार