वतन-ए-ज़िहाद ●●●●●●●●●●●●●●●● "" तुम कहो तो मैं भी भगवत गीता का कोई सार लिख दूँ , या बिस्मिल्लाह उर रहमान-ए-रहीम कोई क़लाम लिख दूँ । धर्म और मजहब के नाम पर हमको सुनो ए बांटने वालों, मैं अपने लहूँ के कतरे-कतरे से वतन हिंदुस्तान लिख दूँ ।। ●●●●●●●●●●●●●●●● जय हिंद #lesson एकता में ही हमारी शक्ति है । वतन ही भक्ती है । हमारा देश गंगा जमुनी का गहवारा है। सभी धर्म के लोग सुख शांति से जीवन व्यतीत कर रहे है पर कुछ मूर्खो की वजह से हमारा देश खण्डता की ओर अग्रसर है । हमे जातिवाद ,भाषावाद ,क्षेत्रीयवाद,और अलगाववादी विचारो का समर्थन न करते हुए सभी धर्म को सम्मान और समान दर्जा देना चाहियें । ताकि हर परिस्थितियों में हमारा देश एकजुट हो सके । पर कभी कभी भावनाएं काफी नही होती जज्बात व्यक्त करने के लिए शब्दो का प्रयोग भी आवश्यक होता है । ●●●●●●●●●●●●●●●● "" तुम कहो तो मैं भी भगवत गीता का कोई सार लिख दूँ , या बिस्मिल्लाह उर रहमान-ए-रहीम कोई क़लाम लिख दूँ ।