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कभी छाया गम के काले बादलों का साया तो कभी सब्ज सुन

कभी छाया गम के काले बादलों का साया
तो कभी सब्ज सुनहरी धूप से समा मुस्कुराया
कभी बरसी रिमझिम सी खुशिय़ों की बारिश
तो कभी ताजी हवा के झरोखों ने की खिल उठने की गुजारिश
कई रूप दिखाती है ये जिंदगी
कभी हम आजाद होते हैं तो कभी मिलती है बंदगी

फर्जी शायर
 सब रूप रौशनी के,
सब रूप ज़िन्दगी के।
#रूपज़िन्दगीके #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
#hindipoetry #hindipoetrylove #urdupoetry #urdushayari
कभी छाया गम के काले बादलों का साया
तो कभी सब्ज सुनहरी धूप से समा मुस्कुराया
कभी बरसी रिमझिम सी खुशिय़ों की बारिश
तो कभी ताजी हवा के झरोखों ने की खिल उठने की गुजारिश
कई रूप दिखाती है ये जिंदगी
कभी हम आजाद होते हैं तो कभी मिलती है बंदगी

फर्जी शायर
 सब रूप रौशनी के,
सब रूप ज़िन्दगी के।
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