माना तुम जागीरदार हो शहर के मगर तुम्हारे शहर में भी शान हमारी है, ढूढ़ते रहो यथार्थ तुम वेदों में तुम्हारे वेदों से बेहतर संविधान हमारी है...! ये वो कहानियों की पुस्तक नहीं जो पन्नें पलटने से ख़त्म हो जाए, तुम मानते हो चन्द पन्नों की पुस्तक जिसे वो, संविधान देश का और पहचान हमारी है...! ©alfazon_ki_diary #Ambedkar_Jayanti #2023 #BabaSahebAmbedkar