दरवाज़ा खड़ा हूँ इस सोच में दरवाज़े पर कोई आये मेरी खोज में दरवाजे़ पर मदहोशी में सबने ठुकराया है मुझे आये कोई तो होश में दरवाजे़ पर गुस्सा सारा अपना मुझपे निकालो यारों यूँ पत्थर ना मारों जोश में दरवाजे़ पर तन्हाई का भार अब सहा नहीं जाता कितना दबे इस बोझ में दरवाजे़ पर बस जाने वाला है "अन्नू"ये शहर छोड़ के ताला मिलेगा चंद रोज़ में दरवाजे़ पर ©Aaina #दरवाजा़ #WForWriters