"पेड को बचाए भी और लगाए भी। एक ऐसा देश, ज़िसे सवारना हैं ,सजाना हैं ,पर्यावारण को बचाना हैं । धरती की हरियाली खिन्न हो रही है, पर्वत, पठार धरती की आंगन से विलुप्त हो रही हैं । सबको मिलकर संभालना है , नया भारत बनाना है । पर्यावारण को बचाना है ...... प्राकृतिक सम्पदा एक वरदान है , ज़िसे बचाना हम भारतीयो का काम है । सपथ ले वानौन्मुलन करना है ,जन -जन तक पहूचाना हैं ! पर्यावारण को बचाना हैं ...... पेड़ - पौधो को काटना एक अभीशाप है , नित्य क्रिया विहीन से प्राणी जीवन कल्पित हैं । ज़िसको एक नया मुकाम देना हैं ,सदियो की कल्पना को आयामित करना हैं । पर्यावरण को बचाना हैं ......... लेखक: मुकेश ओझा prithwi diwas pr vises....