सुन्दर प्रकृति हवा सुहानी है , ये इस दौर की ही कहानी है । भूल हुई मानव पच्छताए , रात में नमन कर दीप जाए ।। हुए सब प्रकृति के नतमस्तक , उजाला कर अंधकार भगाए । धरती मां भी हुई प्रसन्न अब , अम्बर में गंग नील धाराएं ।। प्रिय प्रतिबिम्ब " दिव्य शब्द संग्रह "