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वो खिड़की से झांकना बचपन में चूरन का फांकना पापा


वो खिड़की से झांकना
बचपन में चूरन का फांकना
पापा के गुस्से भांपना
बचपन के संग 
सब कुछ बदल गया।।

बाग और खेत में दिन भर दौड़ना 
चोरी का सामान बहन को सौंपना
😡 गुस्से में अपने बिस्तर को रौंदना
बचपन गया सबकुछ बदल गया।।

वो सपने सुहाने,रेडियो  के गाने
वो अनकही कहानी वो गुजरे जमाने
दौर गया,शौक गया बचपन का मौज गया
रिश्ते बदलें या बदले हम सोच में पड़ा है मन
न जाने क्या क्या और गया।।

©Shilpa yadav
  #Nightlight #nojotostreaks#childhood#memort Anshu writer Dayal "दीप, Goswami.. Vishalkumar "Vishal" V.k.Viraz Sandip rohilla