क़लम का काम हैं लिख़ना, वो तो ब़स वहीं लिखेगी, जो आपका दिमाग़ लिख़वाना चाहेंगा , सत्य-असत्य,अच्छा- ब़ुरा अपना या फिंर पराया I निर्जींव होते हुए़ भी , सजींवता क़ा आभास क़राती हैं सब़को, भावनाये,विवेक़,विचार सब़ तो आपकें अधीन हैं ये कहां कुछ़ समझ पाती हैं I ब़हुत सोच समझ़़ क़र उठाना यें क़लम, ये स्वय का परिचय नही देती ये देती हैं परिचय आपकें, बुद्धि, विवेक़ और संस्कार क़ा I ©Ankur Mishra #कलम_चरित्र क़लम का काम हैं लिख़ना, वो तो ब़स वहीं लिखेगी, जो आपका दिमाग़ लिख़वाना चाहेंगा , सत्य-असत्य,अच्छा- ब़ुरा अपना या फिंर पराया I