हर पहर ये नकचढ़े मिज़ाज, अच्छे हैं नहीं.. हो तुम अपने, तो फ़िर राज़, अच्छे हैं नहीं... फ़ासले ज़रा से भी ठीक है ख़ामोशियों के.. रिश्ते सफ़ाईयों के हो मोहताज, अच्छे हैं नहीं... ©Nishank Pandey #मोहताज़