..... तू-मैं, ‘हम’ हैं, इसलिए ये प्यार का एहसास भी है, ‘तू-मैं-मैं-तू’ में रहता, तो कब का बिखर गया होता । अच्छाई है तो कुछ बुराई भी, क्योंकि हम ‘खुदा’ नहीं, दूर हैं तो दिल के करीब भी,