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लिख्खे थे खत कभी मैंने ,अपने जमाने में । याद जाती

लिख्खे थे खत कभी मैंने ,अपने जमाने में । 
याद जाती नहीं ये और , किस्सा भुलाने में।  
उनकी यादों को छोड़ने ,कि झूठ ही सो गए, 
खत चुपके से पढ़ रहे है , हजरत सयाने में।  


के एल महोबिया

©K L MAHOBIA
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K L MAHOBIA

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