"आज मिला उससे और खुशी का ठिकाना नही मोहब्बत में रकीब मेरा इश्क का सहारा वही।।" मैं तुझसे दूर हूं तो मिलने को वहां जाता हूं रहता है रकीब मेरा जहां मैं वहां जाता हूं तेरी रखी मेरे पास सारी यादें अब धुंधली हो चुकी है, तो मैं तेरा चेहरा देखने रकीब के आंख में उतर जाता हूं, वैसे तो अक्सर मैं दोस्त नही बनता पर तू कैसी है अब ये सुनने के लिए उसे मित्र बुलाता हूं, तेरी महक तो भूल सा गया हूं मैं याद रखने को तू जो लगाती है उससे वो इत्र मगाता हूं, हां और भी बातें है जो तुझे बतानी है पर मेरी यादाश्त कमजोर हो गई है मैं उन्हे भूलता जाता हूं।। ©Mauryavanshi Veer #VeEr