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सच्ची जी.. ईश्क नचाये जिसको यार फिर वो नाचें बीच

सच्ची जी.. ईश्क नचाये जिसको यार 
फिर वो नाचें बीच बाज़ार..
ये तो मदहोशी में ही हो सकता है.. 
और फिर करीगरी कुदरत की जब फुरसत की हों 
तो फिर ता उम्र नाचता रहता है.. बेचारा आशिक़... देख कुदरत की करागिरी इंसान मदहोश हो जाता है
ईश्क़ और भी खूबसूरत हो जाता है इश्क होने के बाद

Collaborating with Aesthetic Thoughts 
Collaborating with Vijaylaxmi Rajpoot
सच्ची जी.. ईश्क नचाये जिसको यार 
फिर वो नाचें बीच बाज़ार..
ये तो मदहोशी में ही हो सकता है.. 
और फिर करीगरी कुदरत की जब फुरसत की हों 
तो फिर ता उम्र नाचता रहता है.. बेचारा आशिक़... देख कुदरत की करागिरी इंसान मदहोश हो जाता है
ईश्क़ और भी खूबसूरत हो जाता है इश्क होने के बाद

Collaborating with Aesthetic Thoughts 
Collaborating with Vijaylaxmi Rajpoot

देख कुदरत की करागिरी इंसान मदहोश हो जाता है ईश्क़ और भी खूबसूरत हो जाता है इश्क होने के बाद Collaborating with Aesthetic Thoughts Collaborating with Vijaylaxmi Rajpoot