न जाने आज हम अपनी, इस धरा को क्या बना बैठे प्रदूषण के कहर से इस धरा को नर्क बना बैठे, सांस भी न ले पाये वो धरा उपहार में नवजातों को दे बैठे निज स्वार्थ में लूटे है हमने, जिन बेजुवानों के आशियानों को, उन बेजुवानों की आवाज बनकर आयेंगे, रचयिता -आदित्य मोदी ©Aditya modi #saveforest #savetrees