मेरे इंतज़ार में पलके बिछाते हो। मुझसे इश्क़ है कि नहीं ,पूछने पर मूझी से तुम छिपाते हो। ऐसा कर के तुम क्या पाते हो। मुझे सब पता है ,बताओ.. किसको मूर्ख बनाते हो! अकेले में ,मेरे नाम को ही गाते हो। जो मै सामने आ जाऊं तो तुम क्यों अकबकाते हो। एक बार ही सही हाल ए दिल क्यों नही सुनाते हो। मुझे सब पता है,बताओ .. किसको मूर्ख बनाते हो! मै दिख गई थी जिस मोड़ पर कल शाम हर शाम उस मोड़ पर क्यों जाते हो। मुझसे है मोहब्बत , मुझी से शरमाते हो और हजार बहाने बनाते हो। मुझे सब पता है, बताओ.. किसको मूर्ख बनाते हो!!!© गौरव पांडेय मूर्ख