ये बेताबिया सही नही जाती ये खामोशिया बार बार क्यु आती है ये रुशवाईया हमे क्यु सताती है ए! परवरदिगार हमे निजात दे दे इनसे..! कुछ कारोबार दे दे हमे..! ये अकेलापन सताता है हमे, ये बेरोजगारी कमर तोड़ देती है कुछ तो जुड़े हमारे पल्ले से कुछ हम भी दान करे दुनिया को..! कुछ करोबार दे दे हमे..!! ©Shreehari Adhikari369 #कुछ हमारा भी हो योगदान #Thinking