जब बढ़ती पांव हो तुम, छनक जाती #पाज़ेब है.! धीरे-धीरे दबे पांव, जैसे आ रही तुम हो.! बढ़ रही है चाहते, हो रहा बेचैन मन.! बस मिलन की चाह में, है नज़र दरवाज़े पर.! चरमराहट से खुली, तुम खड़ी दरवाज़े पर.! धीरे से बंद कर द्वार, आ गई हो तुम मेरे पास.! #अजय57 #पाज़ेब