फटे नोट को किसी दुकानदार को देते वक़्त दिल और दिमाग मे ये डर रहता हे कि वो इस नोट को देख ना ले बस यही डर अपने दिल और दिमाग मे उस वक़्त आता हें जब हम किसी के साथ कुछ गलत करते हें इसलिए किसी के साथ कुछ भी गलत करने से अच्छा हे सच बोल कर खुद को सही साबित करदो क्योंकि जब किसी का भरोसा टूटता हे तो फिर कुछ भी जुड़ने लायक नहीं रहता ना रीत ना रिवाज ना कोई रिश्ता ना रिश्तेदारी ©Dhiraj Kumar #Stars