पुनर्विवाह (कहानी) शालिनी और राजेश की शादी को ग्यारह साल पूरे होने वाले थे वे बहुत खुश थे और अपनी ग्यारहवीं सालगिरह धूमधाम से मनाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन कुछ दिन पहले ही राजेश का एक्सीडेंट हो गया और एक ही पल में शालिनी की पूरी जिंदगी बदल गई जिस घर में खुशियों का डेरा था अब वहां राजेश की मौत का जिम्मेदार शालिनी को मानते हुए उससे बुरा व्यवहार किया जाने लगा था उसको और उसकी बेटी को हमेशा ही बुरा भला कहा जाने लगा था शालिनी ने भी चुपचाप रहकर इसको अपनी नियति मान लिया था। शेष कहानी कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇👇 शालिनी शालिनी कहां रह गई है अभी तक मेरा टिफिन तैयार नहीं किया मुझे ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा है शालिनी शालिनी क्या कर रही हो अभी तक मुझे चाय नाश्ता भी नहीं मिला है शालिनी किचन के कामों में व्यस्त थी तभी उसकी बेटी की आवाज आई मम्मी मम्मी आज मेरी स्कूल यूनिफॉर्म प्रेस नहीं की अब मैं स्कूल क्या पहन कर जाऊंगी मम्मी मम्मी की आवाज से शालिनी का ध्यान भंग हुआ और वह दौड़ कर कमरे की तरफ गई जहां उसकी बेटी प्रेस का प्लक बोर्ड में लगाने ही जा रही थी तभी मम्मी ने पीछे से आवाज लगाई रुको मैं आ रही हूं मैं करती हूं तुमसे कितनी बार मना किया है कि तुम इलेक्ट्रिक का कोई मत करो। उसकी सात साल की बेटी ने कहा मम्मी जब पापा थे तब मुझे कभी भी ड्रेस के लिए नहीं सोचना पड़ता था हमेशा पापा ही मेरी ड्रेस प्रेस कर दिया करते थे जबसे पापा गए हैं मुझे रोज की ड्रेस के लिए कहना पड़ता है शालिनी चुपचाप प्रेस करने लगी तभी पीछे से आकर सास ने आवाज लगाई शालिनी तुम्हारा किसी काम में मन नहीं लगता है मैं कब से चाय नाश्ते के लिए रास्ता है पापा टिफिन के लिए आवाज लगा रहे हैं और तुम हो कि बस अपनी बेटी के पीछे लगी हुई हो शालिनी चुपचाप से ड्रेस प्रेस करती रही प्रेस करके किचन में जाकर चाय नाश्ता बनाने में लग गई उसकी सास उसको खरी-खोटी सुनाती रही पर वह चुप रही और काम करती रही। थोड़ी देर में उसकी देवरानी आई और उसने कहा भाभी एक कप चाय मुझे भी दे दो मुझे भी ऑफिस जाना है देर हो रही है अपने बाकी के काम आप बाद में कर लीजिएगा वैसे भी आपको तो घर में ही रहना है। शालिनी चुपचाप रही जब तक राजेश जिंदा था घर के सभी सदस्यों से बड़े ही प्यार से व्यवहार करते थे परंतु राजेश के जाने के बाद से घर में सभी का व्यवहार बहुत बुरा हो गया था उसका देवर ही था जो उस के पक्ष में हमेशा रहता था इस बात का भी घर वाले बहुत विरोध करते थे परंतु फिर भी वह भाभी को मां के समान ही मानता था परन्तु अब वह घर में ना किसी की बहू और ना किसी की जेठानी रह गई थी बल्कि बस एक नौकरानी बन कर रह गई थी उसके मायके में भी कोई नहीं था जो उसका साथ देता वह अकेले ही घुट रही थी और उसकी पीड़ा को कोई भी नहीं समझ रहा था और उसका देवर सब कुछ समझ कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। एक दिन उसकी दोस्त और उसका भाई उससे मिलने उसके घर आये उसका भाई भी उसका बहुत अच्छा दोस्त था और उसकी बहुत परवाह भी करता था यह बात उसके ससुराल में भी सबको पता थी उन लोगों के आने पर थोड़ी देर तक तो घर का माहौल थोड़ा ठीक है परंतु थोड़ी देर बाद सभी ने अपना अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और शालिनी को भला बुरा कहते हुए उसकी तो उसकी भाई को भी उल्टा सीधा कहने लगे उन्होंने कुछ कहना चाहा तो शालिनी ने मना कर दिया कि अब यही मेरी जिंदगी है मुझे सब सहना ही पड़ेगा क्योंकि मैं बहुत पढ़ी लिखी नहीं हूं और ना ही यह लोग मुझे कोई नौकरी करने देंगे उसकी दोस्त ने कहा कि तुम मेरे साथ मेरे घर चलो और वही रहना। यह सुनकर पीछे से उसकी सास ने ताना मारा क्या अपनी दोस्त को अपनी भाभी बना कर ले जा रही हो जो वहीं रहेगी थोड़ी देर तक से भेज दो चुप रह गए परंतु उसके दोस्त के भाई ने कहा की मुझे इसको अपनी बहन की भाभी बनाने में कोई एतराज नहीं है अगर ये हां कहें तो मैं इनसे शादी करने को तैयार हूं यह बात सुनकर उसकी सास सन्न रह गई और यह बात जाकर थोड़ा और नमक मिर्च लगाकर अपने छोटे बेटे और बहू को बताई। सास ने सोचा था की यह बात सुनकर उसका बेटा और बहू इस बात का विरोध करेंगे और सास का साथ देंगे परंतु ठीक इसके विपरीत हुआ यह बात सुनकर उसका बेटा बोला मम्मी अगर भाभी यह शादी करना चाहती है तो हमें कोई एतराज नहीं है और अच्छा ही है उनकी जिंदगी फिर से संवर जाएगी अभी इनकी उम्र क्या है भीम की पूरी जिंदगी पड़ी है उनकी बेटी भी अभी छोटी है उसको भी पापा का प्यार मिल जाएगा सास ससुर ने बहुत समझाने की कोशिश की गई कि किसी विधवा का विवाह कराना अच्छी बात नहीं है समाज में लोग क्या कहेंगे परंतु उनके बेटे और बहू ने समाज की छोड़कर अपनी बहू की जिंदगी संवारने की बात समझा कर राजी कर लिया परंतु शालिनी के मन में भी रहे बहुत सारे डर और विचार भरे हुए थे जिनको वह चाहकर भी अपने से दूर नहीं कर पा रही थी परंतु उसकी दोस्त है उसको समझाया और जिंदगी की हकीकत बताई तो वह भी यह पुनर्विवाह करने के लिए तैयार हो गई शालिनी के मायके में जो कि कोई भी नहीं था इसलिए वह कोई भी कदम उठाने से डर रही थी परंतु सारी बातें तय हो जाने के बाद उसके साथ ससुर ने ही उसका कन्यादान किया और अब शालिनी का ससुराल उसका मायका बन गया था और वह खुशी खुशी अपने वैवाहिक जीवन को जी रही थी। --------------------------------------------------------------------------- #HappyBirthdayYQ #HBDYQ