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प्रेम डगर पर चलने वाले अक्सर तन्हा होते हैं हँसकर

प्रेम डगर पर चलने वाले
अक्सर तन्हा होते हैं
हँसकर बातें करे सब से पर
एकांत में बैठ के रोते हैं
उनकी दुनिया सबसे अलग है 
स्वार्थ नहीं उनके मन में
होंठों पर मुस्कान बिखेरे
चाहे लाख सितम हो जीवन में
पल पल ख़्वाबों ख्यालों की
दुनिया में खोये रहते हैं
ख़ुशी तो सबसे बाँटते हैं
पर दर्द किसी से  न कहते हैं
अपने मन के भावों को
गीतों में सदा जो पिरोते हैं
प्रेम डगर पर चलने वाले
अक्सर तन्हा होते हैं ।

©Rajnish Jha #MorningTea #rjpoetry #Love
प्रेम डगर पर चलने वाले
अक्सर तन्हा होते हैं
हँसकर बातें करे सब से पर
एकांत में बैठ के रोते हैं
उनकी दुनिया सबसे अलग है 
स्वार्थ नहीं उनके मन में
होंठों पर मुस्कान बिखेरे
चाहे लाख सितम हो जीवन में
पल पल ख़्वाबों ख्यालों की
दुनिया में खोये रहते हैं
ख़ुशी तो सबसे बाँटते हैं
पर दर्द किसी से  न कहते हैं
अपने मन के भावों को
गीतों में सदा जो पिरोते हैं
प्रेम डगर पर चलने वाले
अक्सर तन्हा होते हैं ।

©Rajnish Jha #MorningTea #rjpoetry #Love
rajnishjha9751

Rajnish Jha

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