क्या लिखूं कभी सोचता हूं क्या लिखूं बचपन लिखूं ज़वानी लिखूं या जिंदगी की पूरी कहानी लिखूं क्या लिखूं सुबह लिखूं जो साथ आपने उम्मीद की किरण लाता है या लिखूं दिन के उजाले जो जिसमें सब साफ़ नज़र आता है या साम लिखूं जो दूर गए पंछियों पथिकों को घर की याद दिलाता है या वो रात जो आंखों में सपने दे जाता है क्या लिखूं ©Nikhil Kumar #to_be_continued 😁😁😁