आज फिर से मेरी इन आँखों में नमी है तन्हा चाँदनी रातों में तेरी कमी है याद आते हैं लम्हें साथ गुज़ारे जो सनम इंतज़ार में यह शमा हौले हौले जली है रुख तेरा नहीं मेरी इश्क़ की गलियों में प्यास तुझसे मिलने की और बढ़ी है लिखे तुझे ख़त या पैग़ाम भेजे हवा संग जाने कितनी लम्बी इंतज़ार की घड़ी है अश्कों में बह गए अरमाँ दिल के सारे 'नेहा' हिज्र की आग सीने में भड़क उठी है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1103 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।