ले आया... अपने हिस्से का आज काम ले आया जो अधूरा छूटा था वो नाम ले आया... जब सब बेच रहे थे दुनिया को फरेब मैं अपने घर में थोड़ा ईमान ले आया.... जो भूल गए थे तुम किसी जमाने में मैं घर वो शायरी की किताब ले आया.... ना समझ की कोई तुझसे प्यार नहीं करता चांदी की तश्तरी में अपना दिल ले आया.... ले आया... अपने हिस्से का आज काम ले आया जो अधूरा छूटा था वो नाम ले आया... जब सब बेच रहे थे दुनिया को फरेब मैं अपने घर में थोड़ा ईमान ले आया....