गरजते बादल का शोर तुम हो, सुखी जमीं की प्यास तुम हो,, खिलतीं सुबह की रौशनी तुम हो, दिलकश शाम की आस तुम हो,, मै तुममें गुम होकर तुम्ही को खोजता हूं मेरी मंजिल भी तुम मेरे मंजिल की तलाश तुम हो #तुम_क्या_हो (3) #poetry