विश्व कविता दिवस #नमन मंच विधा-कविता विषय-कविता किसी की बात तीरों सी जब आ हृदि में खटकती है, चित्त के उस हिमालय से तभी रसबूंद झड़ती है। बीती याद संग में स्वयं के मन भाव को लेकर, दर्दे दिल मिटाने को तभी कविता निकलती है॥ किसी की बात..... जैसे भाव पाते हैं वही मन भाव आते हैं, जिसको देखते हैं उसी के गुण गान गाते हैं। कभी रति,हास अथवा क्रोध कभी भय भी जुगुप्सा भी, कभी निर्वेद विस्मय शान्त मन से शान्त गाते हैं। जभी कोई बात अथवा दृश्य मन में आ सिमटती है। सभी के दिल चुराने को तभी कविता निकलती है॥ किसी की बात..... देखा कभी तन्वङ्गी को मन में भाव ये आया, पतझड़ से हृदय में ही तभी ऋतुराज था छाया। करके उसे इंगित लगा नव गीत नित गाने, सुने ओ हस भी दे पर बात का न बुरा ओ माने। मगर इसमें भी जब भी शोक मिलती न रती मिलती है। हृदय की वेदना से ही तभी कविता निकलती है॥ किसी की बात..... कई को बचपने से अब जवानी तक मैने देखा, मगर जो बात बचपन की थी न अब मैने कहीं देखा। कहें भूलो तो हम जानकर भी भूल जाते थे, गुड्डे गुडियों की हम नित नयी बारात लाते थे। ओ बचपना और खेल मन में जब उमड़ती है। मन को कर दे जो चंचल वही कविता निकलती है॥ किसी की बात..... लेखक- #अरुण शुक्ल ©Arun Shukla #विश्व_कविता_दिवस #no #nojohindi #L♥️ve #Holi rajeev Bhardwaj