हाल ही में दिव्या नाम की बेटी के साथ जो हुआ उससे बहुत व्यथित हूँ। और पूछ रहा हूँ इस समाज से कि कब तक इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते रहेंगें।
हम सभी किसी न किसी रूप में नारी से जुड़े हैं चाहे वह बहन हो बेटी हो या पत्नी हो। अगर इसमें से कोई भी नहीं है आपके जीवन में तब भी आपने एक नारी से जन्म लिया है। हर किसी के जीवन में नारी किसी न किसी रूप में मौजूद है। बिना नारी के संसार अधूरा है। पर क्या इस सब के बावजूद हम किसी महिला के साथ गलत व्यवहार करते वक़्त या गलत होता देखते वक़्त ये सोचते हैं कि अगर ऐसा हमारी स्वयं की किसी माँ,बहन, पत्नी या बेटी के साथ ऐसा व्यवहार हो तो क्या हम ये सहन कर पायेंगे। यदि नहीं तो क्या हक़ है हमें ऐसा करने का। यदि समाज में प्रत्येक व्यक्ति किसी महिला के साथ गलत करते समय अपनी माँ बहन बेटी को याद कर ले तो शायद संसार से इस तरह की घटनाएं लगभग बंद हो जाए।
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कब तक अपनी ही बेटियों को हम नोचते रहेंगें।
कभी दिव्या कभी आशिफ़ाओं की बलि देते रहेंगें।
अब भी नहीं काटेंगे ऐसे दानवों का सिर,