White क़ाफ़िया मिलाएं (दो मिसरे) बड़ी क़शमक़श में ज़िन्दगी हमारी है उलझनें है इतनी कम होने का नाम न लेती हैं बुनियादी दिवार कमजोर इतनी निकली खून के रिश्तों के फ़रेब से टूटकर जो गिरी, बदल गये खून के किरदार गिरगिट सारे रंग हर उस दिल में बसा था गुरुर के सारे ढंग कौन किसका यहां अपना है अरे हमने तो अपने मां पापा के सगे रिश्तेदारों को करीब से बहुत बदलते देखा है, ©संस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु स्वलिखित रचनाएं क़ाफ़िया दो मिसरे #wellwisher_taru #Poetry #दोमिसरे #क़ाफ़िया #Nojoto #Life #Trending