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मैं जब तक किचन में रही चाय नही उबली मैं जब तक उम्

मैं जब तक किचन में रही चाय नही उबली 
मैं जब तक उम्मीद में रही किसी ने याद नही किया 
फसल ने जब तक बादल को देखा वो नही बरसे
प्रकृति का ये समीकरण समझा है मैंने की वक्त पर
कुछ नही मिलता 
मै अब तुमसे कुछ नही कहूंगी ये तय है कि मैं 
जब  तक इंतजार में रहूंगी तुम नही आओगे

©Anushka pandit
  my poem 
#vacation
मैं जब तक किचन में रही चाय नही उबली 
मैं जब तक उम्मीद में रही किसी ने याद नही किया 
फसल ने जब तक बादल को देखा वो नही बरसे
प्रकृति का ये समीकरण समझा है मैंने की वक्त पर
कुछ नही मिलता 
मै अब तुमसे कुछ नही कहूंगी ये तय है कि मैं 
जब  तक इंतजार में रहूंगी तुम नही आओगे

©Anushka pandit
  my poem 
#vacation