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शीर्षक - बैसाखी आ गयी सुता! ओजस्वी! स्व-गेह माँ ने

शीर्षक - बैसाखी
आ गयी सुता! ओजस्वी! स्व-गेह
माँ ने प्यार दिया। कहा :
कृतकृत्य हुई मैं बेटी! पधारी तुम!
भरोसा है अब मुझको
साध आज मेरे जीवन की पूरी होगी!

लघु संकेत समझ ईश्वर का
माँ दौड़ी। लायी बैसाखी,
तनया के आगे रख उसको, हट गई।
सभी की डबडबायी आँखें
एक बार बैसाखी को लख, टिक गईं
सुता के चेहरे पर। #river #Nojoto  #lockdown2 #task10.13 #दिव्यांगकविता Arushi #२०अप्रैल२०२० #प्रयागराज
शीर्षक - बैसाखी
आ गयी सुता! ओजस्वी! स्व-गेह
माँ ने प्यार दिया। कहा :
कृतकृत्य हुई मैं बेटी! पधारी तुम!
भरोसा है अब मुझको
साध आज मेरे जीवन की पूरी होगी!

लघु संकेत समझ ईश्वर का
माँ दौड़ी। लायी बैसाखी,
तनया के आगे रख उसको, हट गई।
सभी की डबडबायी आँखें
एक बार बैसाखी को लख, टिक गईं
सुता के चेहरे पर। #river #Nojoto  #lockdown2 #task10.13 #दिव्यांगकविता Arushi #२०अप्रैल२०२० #प्रयागराज