जल रहा है जल, सूरज की गर्मी से l इंसान की बेशर्मी से l जल रहा है जल l जल से करले प्रेम तू बन्दे l जल ही प्यास बुझाएगा l तपति धरती, जलता अम्बर जल ही जलन बुझाएगा l जल में जीवन, अश्रु धारा भी, जल ही पार लगाएगा l खिलते जलज की भाती इंसा, जो ना मानवता फैलाएगा, एक दूजे से जल जल के फिर, जल की प्रलय कराएगा l समझ ना आयी बात अभी तो, वक़्त वो जल्दी आऐगा l प्यासे नभचर, प्यासे भूचर प्यासा तू भी रह जाएगा l जलवायु का रुख जो बदला, वसुंधरा का होगा जलवा, मानवता के अंत का जलसा, जब जलधि में जीवन समाएगा l ©Hemant Soni(Musafir) #Jal #Nozoto #latest