उमेश चतुर्वेदी का आलेख अमरबेल सरी की वंश वादी राजनीतिक दलों को छोड़कर लगभग सभी दलों में फलती फूलती वंशवाद की राजनीति पर उदाहरण देकर ग्रह पर आर्य वंश वादी राजनीति और जातिवाद राजनीति एक दूसरे के पोशाक व पूरे देश में भाजपा जदयू आम आदमी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी के अतिरिक्त सभी दल वंशवाद की राजनीति कर रहे हैं यह बात अलग है कि कम्युनिस्ट महत्वहीन हो गए हैं यदि दुखद है कि वंशवाद की राजनीति की नई 1929 में मोतीलाल नेहरू ने रखी जब उन्हें अपने पुत्र को पार्टी अध्यक्ष बनाने की भूमिका निभाई उसके बाद 1959 में इंदिरा गांधी को कांग्रेस प्रधान बनाया गया उसको छोड़ कर यह पता चली आ रही है बीते 23 वर्ष में राहुल गांधी ने सोनिया गांधी पर आसीन है ठीक इसी तरह पूरे देश में कश्मीर कन्याकुमारी तक चली आ रही है कश्मीर तमिलनाडु में डीएमके डीएमके दोनों ही दल विश्व वादी आधारित है कुप्रथा ऐसे ही चलती रहती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर जोरदार प्रहार ना करते उदाहरण के तौर पर इन विधानसभा चुनाव के सांसद विधायकों के पुत्र पुत्री को ठीक नहीं दिए गए कम से कम भाजपा ने तो वंशवाद पूरी तरह से हावी हुआ इसका असर आवाज स्वाधीन राजनीति करने वाले चित्र जलोदर राष्ट्रीय दलों पर देर सवेरे कपड़ा अब समय आ गया है कि परिवारवाद जातिवाद संप्रदायवाद जैसे संकुचित विचारधारा का परित्याग कर राष्ट्रीय वाद विकासवाद बेहतर संवाद अपनाया जाए तभी सच्चे अर्थ में लोकतांत्रिक देश बन सकता है ©Ek villain #वंश वादी राजनीति पर करारा प्रभाव #WorldPoetryDay