सोचता हूँ कि अब वैध ही बन जाऊ, माहिर भी होगएं है वों ज़ख्म देनें में। मरहम भी नहीं चाहते हम जैसे दीवानें, दीदार ही काफ़ी है अब सुकून देनें में। Namaskar Doston, aap sab theek hai naa... #surmayeeshayar #zakham #sukoon