उसकी मोहब्बतों से छूटा तो और किसी के दर पे रुका नहीं था मैं ।। जब लौटा अपने घर तो लिपटकर माँ से खूब रोया था मैं ।। एक रोज़ जब गुज़रा तेरी गली से मैं ।। तो माँलूम हुआ और किसी गली मे जाता नहीं था मैं ।। ग़र मेरी आँखों से आँसू बेह रहे है तो समझ लीजिए ये भी बेवफा हो गए ।। अपनी कहानी कहते कहते खुद संजीदा हो गया था मैं ।। आखिरी मुलाकात में मिला तुझसे तो तमन्ना थी के फिर मिलूंगा तुझसे ।। पर शायद पहले ही तुझसे बिछड़ चुका था मैं ।। जुदा हो कर भी तुझसे बिछड़ ना पाए हम ।। तेरे आँखरी मुलाकात के ज़ब्त मे ही रेह गया था मैं ।। तेरे इश्क़ के साँसों में, पैरहन-ए-उल्फत में था आकाश, फिर भी शब-ए-हिज्र काटा है उसने ।। पहली मर्तबा तुझसे छुपकर तुझे दुल्हन के जोड़े मे देखकर समन्दरो से ज़्यादा बादल सा रो रहा था मैं ।। #मोहब्बतोंसफ़र