बहुत पहले बहुत पहले की दुनियां श्याम और श्वेत थी, रिश्तों की छांव में न कभी गम की धूप थी। वतन में भी अमन चैन की बयार बहती थी, हर इक इमारत प्रेम की कहानी कहती थी। न जमीं पर शोर था न आसमां में धुआं था, प्यार के नीर से लबालब मन का कुआ था। देखकर दीन दुखियो को झलकते थे आंसू, असहाय को सहारा देने को आतुर थे बाजू। हरेक मानव में मानवता का रहता वास था, मेहमान को खाना खिला रहता उपवास था। बहुत पहले दिल भी दिल के रहता पास था, इन्सानियत का रिश्ता होता बहुत खास था। JP lodhi 15/04/2021 ©J P Lodhi. #PoetInYou #poetryunplugged #Nojotowriters #Nojotonews #NojotoFilms #Nojotofaimly #Poetry