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आसान भाषा होकर भी जुबाँ से निकल नहीं पाते, ये महज

आसान भाषा होकर भी जुबाँ से निकल नहीं पाते,
ये महज एक शब्द नहीं, वरन किसी की मौजूदगी का एहसास दिलाते है,
जो साथ नहीं है, पर उनके खत आज भी हम पढ़ते जाते है,
उन पुराने दिनों की याद ताजा कर,
सुख-दु:ख के हर पल को याद कर लेते है, 
जाने वो अपने किस दुनिया में चले गए, 
उन्हें याद कर हम खुद को तन्हा ही पाते है... 

कुछ शब्द पढ़े नहीं जाते,
बस महसूस किये जाते है, 
वो अपने आज भी बहुत याद आते हैं...!  नमस्कार लेखकों।😊 

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आसान भाषा होकर भी जुबाँ से निकल नहीं पाते,
ये महज एक शब्द नहीं, वरन किसी की मौजूदगी का एहसास दिलाते है,
जो साथ नहीं है, पर उनके खत आज भी हम पढ़ते जाते है,
उन पुराने दिनों की याद ताजा कर,
सुख-दु:ख के हर पल को याद कर लेते है, 
जाने वो अपने किस दुनिया में चले गए, 
उन्हें याद कर हम खुद को तन्हा ही पाते है... 

कुछ शब्द पढ़े नहीं जाते,
बस महसूस किये जाते है, 
वो अपने आज भी बहुत याद आते हैं...!  नमस्कार लेखकों।😊 

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