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आज़ादी - एक ज़रूरत एक इंसान का जितना गहरा रिश्ता आज़ा

आज़ादी - एक ज़रूरत एक इंसान का जितना गहरा रिश्ता आज़ादी से होता है, उतना शायद ही इस दुनिया में किसी और चीज़ से होगा। और हमारी 'आज़ादी' से मतलब, हमारे ऊपर कसी भी तरह केे बंधन का मौजूूद नहीं होना। बंधन किसी भी तरह का हो, पर उसके होते हुए इंसान को सूकून नही मिल पाता। इसलिए, वह दौड़ता जाता है, उन सभी बंधनों से किसी भी तरह मुक्ति पाने केे लिये। क्योंकि उसके जीवन मे आज़ादी की 'चाह' और 'ज़रूरत' बढ़ने लगती है। एक इंसान अपनी जिंदगी में न जाने कितने उतार-चढ़ाव सर उठाकर सह लेता है, पर अगर वो कभी झुका हुआ महसूस करता है, तो उसकी वजह हमेशा ही 'दबाव' होता है। वह पूरी तरह आज़ादी चाहता है, हर स्थिति में। वह केवल अपने नज़रिये से दुनिया देखना चाहता है। अगर उसके सामने एक तरफ उम्र भर की ज़रुरतमंद और पसंदीदा वस्तुएँ कर दी जाए, और एक तरफ 'खुला दरवाज़ा', तो सही फैसला उस खुले दरवाज़े को चुनना होगा। क्योंकि उस दरवाज़े के बाहर जो है वो उन चीज़ों में बिल्कुल नहीं, वो सभी सामान 'आज़ादी' के सामने पैरों में बंधी बेड़ियों और क़ैद से ज़्यादा कुछ भी नहीं। और उस दरवाज़े के पार खुली हवा है, ख़ुद को साबित करने के हज़ारों मौक़े हैं, एक पूरी दुनियां है, जो नए विचारों को गले लगाती है। जो हमे हमारा असली वजूद बताती है, हमे हर पल बंधनमुक्त होने का एहसास दिलाती है। तो आज़ादी एक तरह से खुली हवा में हाथ फैलाकर खड़े होने जैसा अनुभव है, जो हमारी मदद करता है- कामयाबी के बहुत पास लाने में और बंधन से कोसों दूर ले जाने में।

- Disha Pandey❤️

Thank you for reading!❤️🌻

#yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #shayari #poetry  #life #zindagi #freedom
आज़ादी - एक ज़रूरत एक इंसान का जितना गहरा रिश्ता आज़ादी से होता है, उतना शायद ही इस दुनिया में किसी और चीज़ से होगा। और हमारी 'आज़ादी' से मतलब, हमारे ऊपर कसी भी तरह केे बंधन का मौजूूद नहीं होना। बंधन किसी भी तरह का हो, पर उसके होते हुए इंसान को सूकून नही मिल पाता। इसलिए, वह दौड़ता जाता है, उन सभी बंधनों से किसी भी तरह मुक्ति पाने केे लिये। क्योंकि उसके जीवन मे आज़ादी की 'चाह' और 'ज़रूरत' बढ़ने लगती है। एक इंसान अपनी जिंदगी में न जाने कितने उतार-चढ़ाव सर उठाकर सह लेता है, पर अगर वो कभी झुका हुआ महसूस करता है, तो उसकी वजह हमेशा ही 'दबाव' होता है। वह पूरी तरह आज़ादी चाहता है, हर स्थिति में। वह केवल अपने नज़रिये से दुनिया देखना चाहता है। अगर उसके सामने एक तरफ उम्र भर की ज़रुरतमंद और पसंदीदा वस्तुएँ कर दी जाए, और एक तरफ 'खुला दरवाज़ा', तो सही फैसला उस खुले दरवाज़े को चुनना होगा। क्योंकि उस दरवाज़े के बाहर जो है वो उन चीज़ों में बिल्कुल नहीं, वो सभी सामान 'आज़ादी' के सामने पैरों में बंधी बेड़ियों और क़ैद से ज़्यादा कुछ भी नहीं। और उस दरवाज़े के पार खुली हवा है, ख़ुद को साबित करने के हज़ारों मौक़े हैं, एक पूरी दुनियां है, जो नए विचारों को गले लगाती है। जो हमे हमारा असली वजूद बताती है, हमे हर पल बंधनमुक्त होने का एहसास दिलाती है। तो आज़ादी एक तरह से खुली हवा में हाथ फैलाकर खड़े होने जैसा अनुभव है, जो हमारी मदद करता है- कामयाबी के बहुत पास लाने में और बंधन से कोसों दूर ले जाने में।

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