अगर मैं रावण होता तो #रावण_एक_अभेद_किला_है ◆◆◆◆◆◆◆◆ रावण नहीं उसका पुतला जला है। रघुपति राघव राम हर बार छला है। दशकंधर आज जश्न मनाता फिरता वहम में ,अवधपुरी ओर मिथिला है। सम्मुख ,हर के भीतर है ,दशानन, बलिष्ठ होकर ,खूब फला फुला है। शर नाभि पर खा कर भी जिंदा वो हरण सीता पीड़ित यहाँ अबला है। न दहन न दग्ध हुआ ,ज्वाला से भी, हर के भीतर रावण गुल मिला है। हा हा हा के अट्टाहस होते आज भी, व्यथित मन मंचित बस रामलीला है। नाभि पे शर मार आये प्रभु फिर भी, वो हर की मनोवृति गुलके मिला है। लाख जला दों लंका तुम रावण की , लगता रावण का एक अभेद किला है। कहते है ,बुराई पर अच्छाई की जीत, कथन विचारणीय पर सिलसिला है। सच , अबकी बार मर जाये ,रावण , सबको शुभ पर्व ये दशहरा मिला है। पी राय राठी"_____✍ #Raavan